Jonathan Livingston Seagull_Hindi Transcreation byAnubhav Krishna Swamiji जोनाथन लिविँगस्टन सीगल - हीन्दी अनुसर्जन, अनुभव कृष्ण
JONATHAN LIVINGSTON SEAGULL– RICHARD BACH
INTRODUCTION AND TRANSCREATION IN HINDI - Anubhav Krishna Swamiji
This is a story of The Sky and The Ocean – the expressions of The Infinite; In between is a tiny seagull bird, a lover of flight and height, who aspires and struggles to rise horizons beyond horizons, cross limitations after limitations to touch The Limitless, The Highest; and WINS. This story is adoration and worship of The Infinite
The English Classic 'Jonathan Livingston Seagull' by Richard Bach is a story of struggle and triumph of the indomitable spirit in every one, which calls for rising, waking up and attempting for the Highest. It is the innermost song of freedom that every soul is humming all the time. In it, there is adventure, struggle, joy of aloneness, dignity and grace of a meaningful life.
The life of the rest of the flock was confined merely to flying, struggling, quarrelling, fighting, competing with one another only for eating, living and surviving – a life that is just a meaningless biological existence. Jonathan Seagull was a unique bird for whom such a life was of no significance and value. For him, life's only dignity and beauty was in ceaseless learning, rising height beyond height, exploring meaning beyond meaning, crossing limitations after limitations and touch The Limitless.
This story is for those who are keen to discover and move from meaning to a higher meaning in life and yearn for The Highest Flight, The Highest Meaning of life.
This world famous inspirational story has filled the lives of millions with smile and courage. It has brought many out of despair and tastelessness of a monotonous life and has given a new direction, heralded a new sunrise and a vision, infused fresh meaning and energy in life to hope and live for.
This small book can be a beloved and a trusted companion of your life also.
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Swami Anubhav Krishna is introducing this great English classic in Hindi language with the various interesting facts about the book and its author in addition to its free translation. To him, this is an integral part of the totality of the book and its presentation adds to the meaning and significance of the book.
This work is not a literal translation of the original English text. It is a creative or a free translation (transcreation) in Hindi that incorporates Indian way of thinking and allows it to flow into it. The purpose behind this is to bring out deeper meaning of the original text more forcefully. Those interested in the original English text or its literal translation in Hindi are advised to have such a copy available from other sources.
The purpose of the present work is educational and noncommercial. It is to share and spread the spiritual classic and its beautiful message amongst Indian readers, especially spiritual seekers, who may be deprived of it simply because of their lack of familiarity with the English language. The readers are invited to join and participate in this holy mission in whichever way possible.
To fulfill this holy and selfless objective, the e-copy of the book is uploaded on an open source website http://sites.google.com/site/swamisritimirbaran for reading, free download and private circulation.
Swami Anubhav Krishna asserts just a moral right to be identified as the author of this work.
Text copyright of सागर पक्षी (Sagar Pakshi)
© Swami Anubhav Krishna, 2016.
Written by:
Swami Anubhav Krishna, Sri Narsinha Mandir, Near: Police Thana, BARSANA - 281405, UP, India.
Readers can share this work and mission with the author or inquire for a hard copy of the book at his Email id: anubhavseagull@gmail.com
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जोनाथन लिविंग्स्टन सीगल – रीचर्ड बाक –
हिंदी में पुस्तक परिचय एवं अनुसर्जन - अनुभव कृष्ण स्वामिजी
यह कहानी है अनंत के प्रतिरूप आकाश और समुद्र की; इन दोनों के बीच में है एक छोटा-सा सागर पक्षी, जो उड़ान और ऊँचाई का प्रेमी है, जो एक क्षितिज से और एक क्षितिज में उड़ान भरने के लिए, एक सीमा से और एक सीमा पार करने के लिए और उस असीम को, उच्चतम को स्पर्श करने के लिए संघर्ष और साधना कर रहा है – और विजयी भी होता है। यह कहानी अनंत का गुणगान है, अनंत की पूजा है।
रीचर्ड बाक की महान अंग्रेज़ी कृति 'जोनाथन लिविंग्स्टन सीगल' हरेक में निहित सीमाओं को पार करके उस असीम को छूने की अदम्य इच्छाशक्ति की संघर्ष एवं विजय गाथा है, जो जीवन में श्रेष्ठतम की प्राप्ति के लिए लिए उत्तिष्ठत होने के लिए, जागृत होने के लिए और आराधना करने के लिए आवाहन करती है। यह कहानी मुक्ति का अंतर्तम गीत है जो हर आत्मा सदैव गुनगुनाता है। इस कहानी में साहस है, संघर्ष है, एकलता का निजानंद है, अर्थपूर्ण जीवन का गौरव एवं लावण्य है।
झुंड के अन्य पक्षीओं का जीवन सीमाबद्ध था, उनका जीवन था केवल खाने एवं जीने के लिए ही उड़ना, संघर्ष करना, लड़ाई झगड़ा करना एवं एक दूसरे की स्पर्धा करना – एक ऐसा जीवन जो केवल अर्थहीन जैविक अस्तित्व है। जोनाथन एक निराला पक्षी था जिसके लिए ऐसा जीवन का कोई महत्व एवं मूल्य नहीं है, जिसके लिए जीवन की एकमात्र गरिमा और सुंदरता है निरंतर सीखने में, एक ऊँचाई से और एक ऊँचाई में जाने में, जीवन के एक अर्थ से और एक उच्चतर अर्थ की खोज करने में, एक सीमा से और एक सीमा पार करने में और उस असीम को, श्रेष्ठतम को स्पर्श करने में।
यह कहानी उनके लिए है जो जीवन में अर्थ से उच्चतर अर्थ आविष्कार करने के लिए इच्छुक हैं; और सर्वोच्च उड़ान के लिए, जीवन के सर्वोच्च अर्थ को आत्मसात करने के लिए लालायित हैं।
इस जगप्रसिद्ध बोधकथा ने लाखों के जीवन को स्मित और साहस से भर दिया है। इसने कईओं को निराशा और एक ही प्रकार के जीवन की निरसता से बाहर निकाला है और एक नई दिशा प्रदान की है, अंधकारमय जीवन में नए सूर्य का, नए दर्शन का उदय किया है एवं जीवन में नया अर्थ और ऊर्जा भरकर जीने का कारण एवं आशा प्रदान किया है।
यह छोटी-सी किताब आपकी भी प्रिय और विश्वस्त जीवनसाथी बन सकती है।
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स्वामी अनुभव कृष्ण इस महान कृति के मुक्त भाषांतर (अनुसर्जन) के साथ साथ पुस्तक एवं उसके लेखक के साथ जुड़े हुए कुछ तथ्यों के साथ भी परिचय करा रहे हैं। उनके अनुसार ये भी इस पुस्तक की सर्वांगता का ही एक निहित अंग है और उसका परिचय पुस्तक को और भी अर्थपूर्णता और महत्ता प्रदान करता है।
यह रचना मूल अंग्रेज़ी कृति का केवल शाब्दिक भाषांतर न होते हुए हिंदी में किया गया हुआ मुक्त भाषांतर यानी अनुसर्जन (transcreation) है, जो भारतीय परंपरा की आध्यात्मिक चिंतन धारा को अपने में समाविष्ट करती है एवं प्रवाहित होने देती है। यह करने का उद्देश्य मूल कृति के गहरे अर्थ को और भी प्रभावी ढंग से उजागर करना है। जिनको मूल अंग्रेज़ी कृति में या उसके शाब्दिक भाषांतर में रूचि है वे ऐसी कापी को प्राप्त कर सकते हैं, जो अलग अलग रूप में उपलब्ध है।
इस रचना का उद्देश्य शिक्षात्मक एवं गैर वाणिज्यिक है। इसका उद्देश्य इस महान कृति एवं उसके सुंदर संदेश को भारतीय पाठक वर्ग के बीच में – विशेष करके आध्यात्मिक साधकों के बीच में – बाँटना एवं प्रसार करना है, जो केवल अंग्रेज़ी भाषा से परिचित नहीं होने की वज़ह से इससे वंचित रहते हैं। पाठकों को भी इस पवित्र उद्देश्य की पूर्ति में जिस तरह से भी सहभागी हो सकते हैं वह करने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
इस निःस्वार्थ उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस कृति की ई-कापी को मुक्त स्त्रोत http://sites.google.com/site/swamisritimirbaran पर डाउनलोड करने के लिए एवं निःशुल्क असार्वजनिक लेकिन व्यक्तिगत प्रसार के लिए उपलब्ध किया गया है।
स्वामी अनुभव कृष्ण अपने पास इस कृति के रचनाकार होने का केवल नैतिक अधिकार सुरक्षित रखते हैं:
Text copyright of सागर पक्षी (Sagar Pakshi)
© Swami Anubhav Krishna, 2016.
रचनाकार:
स्वामी अनुभव कृष्ण, श्री नरसिंह मंदिर, पुलिस थाना के पास, यादव मोहल्ला, बरसाना – 281405, यु.पी., भारत (India)
पाठक रचनाकार के साथ इस रचना के बारे में अपनी अभिव्यक्ति के लिए, इसके प्रसार के पवित्र मिशन में संम्मिलित होने के लिए एवं इस रचना की प्रिन्टेड किताब की उपलब्धि के बारे में पूछताछ के लिए उसके इस इमेल आई.डी. पर संपर्क कर सकते हैं: anubhavseagull@gmail.com
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